काश बनाने वाले ने हमें भी किताब बनाया होता ,
और यूँ करके बेइंतेहा जुल्म मुझ पर कहती आज तुम्हे माफ़ करते है ,
धुल जमी थी खुद के चहरे पर और कहती चलो आइना साफ़ करते है।
वो पढती पढ़ती सो जाती और हमें सीने से लगाया होता।
और यूँ करके बेइंतेहा जुल्म मुझ पर कहती आज तुम्हे माफ़ करते है ,
धुल जमी थी खुद के चहरे पर और कहती चलो आइना साफ़ करते है।
मेरी फांसी मुकर्रर करने के बाद वो मुस्कुराई बहुत होगी ,
न जाने कोनसा वहां उसके सर चढ़ गया ,
अरे उसके जाने के बाद जीने की तमन्ना तो वैसे भी न रही ,
वो शख्श तो मेरे हक़ में फैसला कर गया।
बनाकर चादर उसकी खुसबू की पूरी रात ओढ़ लेता हु ,
मैं चाहता हूँ उसे जी भरकर देखना लेकिन जब नज़र आती तो नज़रें मोड़ लेता हूँ।
अगर वो बेवफा है तो मत कहो बुरा उसको,
जो हुआ सो हुआ खुश रखे खुदा उसको ,
वो नज़र ना आये तो तलाश में रहना उसके ,
और जब कबि दिखे तो पलट कर मत देखना उसे।
दुनिया करें जिस पर नाज़ उस अभिमान का बेटा ,
हाँ मुझे फक्र है और गर्व से कहता हु मैं किसान का बेटा हु।
धोखा वफ़ा की राह में खाये है बहोत लेकिन किसी के साथ धोखा नहीं किया ,
हमने गुज़ार दी फकीरी में ज़िन्दगी लेकिन कभी ज़मीर का सौदा नहीं किया।
मत पूंछो भाई हमारे कारोबार के बारे में ,
महोब्बत की दूकान है नफ़रत के बाज़ार में।
न मुस्कुराए जब तक वो उसे मुस्कान मत देना ,
पलट कर खुद ही देखेगी वो उस पर ध्यान मत देना।,
तरस जाओगे जन्नत को अगर माँ बाप रोएंगे ,
कभी किसी लड़की की खातिर जान मत देना।
एक झलक देखकर जिस शख्स की चाहत हो जाए
वो परदे में भी पहचान लिया जाता है।
जो कभी जहन तक में तसल्लिम था वो नज़रों तक से गिर गया है ,
वो बता रहा है हद में रहो जो अपनी हद से गुज़र गया है।
कुछ तो वो जला होगा यूँ बेवजह धुँआ तो न हुआ होगा ,
जिसे डरते है खाब में देखने से वो हादसे हकीकत में जैसे हुआ होगा ,
और मेरे हाथ कांपते है उसकी फोटो को छूने से
किसी गैर के साथ हम बिस्तर कैसे हुआ होगा।
अब उसे जाते देख मेरी जान निकल से जाती है ,
जिस्म तो जिस्म रूह तक काँप जाती है ,
और मेरे जाने से वो पाना कोई हिस्सा खोता नहीं है ,
हाँ वो हमबिस्तर तो होता हिअ मेरे साथ पर सुकून से दो पल सोता है।
पानी पीना है तो गिलास में पीओ ,
बिसलेरी बोतल में क्या रखा है ,
सेवा करनी हि अ तो मान बाप की करो इन लड़कियों में क्या रखा है।
महोब्बत को बुरा क्यों कहूं जब मेरी किस्मत ही खराब है ,
वो जा रही है तो जाने दो मेरे पास मेरी शराब हैं।
क्यों मरते हो बेवफा सनम के लिए ,
दो जग कपड़ा भी नसाब न होगा कफ़न के लिए ,
मरना हिअ तो मारो पाने देश के लिए ,
हसीना भी दुपट्टा फाड़ देगी कफ़न के लिए।
राह में कांटे एक दो नहीं होते ,
राह कांटो से भरी होती हिअ जहाँ कदम कदम पर मिलती नई छोटी है ,
जिन्हे देख जिनके हौसले डगमाते है ,
वे काँटों में उलझकर वहीँ रह जाते हिअ ,
लेकिन जिनकी निगाहें होती है मंजिल पर ,
वे काँटों पर चलकर भी मंजिल को पा लेते है।
नींद नहीं सपना बदलता है ,
मंजिल नहीं रास्ता बदलता है ,
पर जो जगाले जज्बा जीतने का,
किस्मत की लकीर बदले या न बदले आदमी का वक़्त जरूर बदलता है।
बुलबुल के पंख कभी बाज़ नहीं होते ,
बुज़दिलों के घर कभी राज़ नहीं होते ,
और जो डरते हिअ मंज़िल को देखकर,
उनके सिरों पर कबि ताज नहीं होते।
एक मुस्लिम ने कहा हिन्दू से मई तुमसे दोस्ती करना चाहता हु तू हिन्दू ने दोस्ती करने से मन कर दिया बोला तू मुसलमान है इसलिए मैं तुमसे दोस्ती नहीं कर सकता
तो उस मुसलमान भाई ने बड़े अनमोल कहे
"ला मई तेरी गीता पढ़लूँ तू पढले मेरा क़ुरआन ,
अपना तो दिल में एक ही अरमान एक ही थाली में खाना खाये सारा हिन्दुस्तान। "
खुदा को भी अंदाज़ा नहीं था की मुझे कुछ यूँ सुनाई दिया होगा ,
जब कांधा दे रहा था माँ की अर्थी को ,
तो कहने लगी कांधा किसी और को देदे थक गया होगा ,
और कुछ खाया पीया भी है या यूँ ही शमशान को चला आया है ,
और नालायक इतनी धूप हो रही है नंगे पाँव चला आया है।
ना इलाज़ है ना इसकी दवाई है ,
इ इश्क तेरे टक्कर की कोरोना नाम की बिमारी आयी है।
पहुँच गयी है गिनती हज़ारों में इसे लाख मत होने दो ,
और रुक जाओ पाने घरों में वतन को राख मत होने दो।
सुबह से शाम होगी शाम से रात होगी ,
अरे मुझे दफनाने वालों मुझे ऐसी जगह दफनाना जहाँ मेरे दोस्तों से मुलाकात होगी।
बिना तेल के सब्जी छोंक देती है ,
कहीं पुलिस उठा ले जाए मुझे इस दर से वो इस दर से अपनी खांसी रोक लेती है।
दो जग कपड़ा भी नसाब न होगा कफ़न के लिए ,
मरना हिअ तो मारो पाने देश के लिए ,
हसीना भी दुपट्टा फाड़ देगी कफ़न के लिए।
राह में कांटे एक दो नहीं होते ,
राह कांटो से भरी होती हिअ जहाँ कदम कदम पर मिलती नई छोटी है ,
जिन्हे देख जिनके हौसले डगमाते है ,
वे काँटों में उलझकर वहीँ रह जाते हिअ ,
लेकिन जिनकी निगाहें होती है मंजिल पर ,
वे काँटों पर चलकर भी मंजिल को पा लेते है।
नींद नहीं सपना बदलता है ,
मंजिल नहीं रास्ता बदलता है ,
पर जो जगाले जज्बा जीतने का,
किस्मत की लकीर बदले या न बदले आदमी का वक़्त जरूर बदलता है।
बुलबुल के पंख कभी बाज़ नहीं होते ,
बुज़दिलों के घर कभी राज़ नहीं होते ,
और जो डरते हिअ मंज़िल को देखकर,
उनके सिरों पर कबि ताज नहीं होते।
एक मुस्लिम ने कहा हिन्दू से मई तुमसे दोस्ती करना चाहता हु तू हिन्दू ने दोस्ती करने से मन कर दिया बोला तू मुसलमान है इसलिए मैं तुमसे दोस्ती नहीं कर सकता
तो उस मुसलमान भाई ने बड़े अनमोल कहे
"ला मई तेरी गीता पढ़लूँ तू पढले मेरा क़ुरआन ,
अपना तो दिल में एक ही अरमान एक ही थाली में खाना खाये सारा हिन्दुस्तान। "
खुदा को भी अंदाज़ा नहीं था की मुझे कुछ यूँ सुनाई दिया होगा ,
जब कांधा दे रहा था माँ की अर्थी को ,
तो कहने लगी कांधा किसी और को देदे थक गया होगा ,
और कुछ खाया पीया भी है या यूँ ही शमशान को चला आया है ,
और नालायक इतनी धूप हो रही है नंगे पाँव चला आया है।
ना इलाज़ है ना इसकी दवाई है ,
इ इश्क तेरे टक्कर की कोरोना नाम की बिमारी आयी है।
पहुँच गयी है गिनती हज़ारों में इसे लाख मत होने दो ,
और रुक जाओ पाने घरों में वतन को राख मत होने दो।
सुबह से शाम होगी शाम से रात होगी ,
अरे मुझे दफनाने वालों मुझे ऐसी जगह दफनाना जहाँ मेरे दोस्तों से मुलाकात होगी।
बिना तेल के सब्जी छोंक देती है ,
कहीं पुलिस उठा ले जाए मुझे इस दर से वो इस दर से अपनी खांसी रोक लेती है।
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