" कुछ लोग इतिहास रटने पर विश्वास करते है लोग इतिहास रचने पर "
best motivational quotes in hindi
कभी भी इंटेलीजेंट आदमी इतिहास नहीं रचता हमेशा ज़िद्दी आदमी इतिहास रचता है। इस ज़िद्द को पालना है। ज़िद्दी आदमी इतिहास रखता है ये बात एक बार नहीं बल्कि बार बार दुनिया के लेजेंड्स ने अपने कारनामों से बताया है। इस आर्टिकल में उन सभी ज़िद्दी आदमियों की कामयाबी और जर्नी को आप पढ़ने वाले है। कैसे साधारण बिलोंग करने वाले बच्चो ने बड़े होकर इतिहास के पन्नो में अपना नाम लिखवा दिया। उनके जीवन में समस्या बहुत आयी लेकिन उनकी ज़िद्द ने हर समस्या सामने दिया। ससमस्या तो उनके सामने मात्र एक शब्द बनाकर रह गया। ऐसे ही लेजेंड्स की कहानियां आप को इस आर्टिकल में मिलेंगी।
सबसे पहले करते है india के एक रईस इंसान रतन टाटा की ,जिन्हीने अपना बचपन गरीब में गुजारा।
रतन टाटा ने अपनी ज़िन्दगी में एक ऐसा कारनामा कर दिखआया जिससे के बाद पूरा विश्व भारत का लोहा मानने लगा।
उन्होंने यह साबित कर दिया की SUCCESS IS ACTUAL REVENGE .
रतन टाटा ने BILFORDS से ऐसा ही बदला लिया था। कारों के व्यापार में घाटों के कारन रतन टाटा ने अपनी कार कंपनी बेचने का निर्णय लिया। रतन टाटा ने USA में अच्छी चल रही कार फोर्ड के मालिक बिलफोर्डस को पानी कार कंपनी बेचने का फैसला किया। रतन USA गए और बिलफोर्डस के साथ मीटिंग की ,इस मीटिंग के दौरान रदरफोर्ड ने रतन टाटा को फटकार लगते हुए कहा की
-: अगर कार बनानी नहीं अति तो तो धंधे में आये क्यों थे , आप की यह कार कंपनी खरीदकर हम आप पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे है।
उस मीटिंग के बाद पूरी रात रतन टाटा को नींद नहीं आयी उन्होंने वो अपना अपमान सहन न कर पाए और उस रात बिना अपनी कंपनी फॉर्म को बेचे वापिस आगये और अपने सभी एम्प्लाइज को बाउंस बैक के लिए कहा। उस दिन के बाद रतन टाटा पहले से भी और अधिक लगन से एक और कार मार्किट में लांच करने की तैयारी में लग गए। लगभग तीस साल बाद उन्होंने इंडियन में टाटा मोटर्स का वर्चस्व स्थापित कर दिया था। अब उन्हें न दिन का पता था और न ही रात का। वो अपने काम के प्रति ितं ज़िद्दी हो गए की बूत थोड़े समय में उन्हओने बहुत कार टाटा कंस्ट्रक्टीुओं में लांच कर दी। पूरे इंडियन में टाटा मोटर्स का दान का डंका बजा दिया। जब टाटा मोटर्स अपने शीर्ष स्थान पर पहुँच चुकी थी उसी समय use में बिलफोर्डस की कार सौंपने को बहुत घटा होने लग गया था ,फोर्ड मोटर्स अब बिकने के कगार पर आ चुकी थी।
इसी मौके पैर रतन टाटा ने बिलफोर्डस को उनकी कंपनी फोर्ड मोटर्स खरीदने का ऑफर दिया ,बिल फोर्ड की कंपनी अब ितं घाटे
में जा चुकी थी की बिलफोर्डस न चाहकर भी रतन टाटा के प्रोपोज़ल को नेग्लेक्ट न क्र सकते थे।
टाटा के मैसेज के बाद फोर्ड उसे से इंडिया आये और टाटा से कहा की आप हमारी कंपनी खरीदकर हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे है
रतन टाटा ने जो बदला लिया वो असमरीय था। उन्होंने अपनी ज़िद्द के चलते अपना अपमान का बदला लिया।
लेकिन ऐसा कारनाम सिर्फ एक बार ही नहीं हुआ इतिहास ऐसे कारनामा करने वाले लाखों लोगों से भरा हुआ है। जिन्होंने अपनी ज़िद्द के चलते सफलए हासिल की।
केवल ज़िद्दी आदमी ही इतिहास रचता है।
बिलगेट्स के बारें में लोग कहते थे ये कॉलेज ड्रॉपआउट था , पढाई में उनका ध्यान नहीं था वो सिर्फ एक बिज़नेस में है ,
लेकिन सुच तो यह है बिल गेट्स जितना कोई पढ़ता ही नहीं था। 70-70 घंटे लगातार पढ़ने वाले इंसान थे बिलगेटस जब वो एकबार पढ़ने बैठ जाते थे तो पाने जूते नहीं उतारते थे जब उनसे इस बात के बारे में पूंछा गया की आप पढ़ते समय जुटे नहीं उतारते तो ऐसा क्यों
तो उन्होंने कहा की जुटे उतारने के बाद वापिस भी तो पहनने पड़ते है मैं ितं समय खराब नहीं कर सकता। और बिलगेटेड ने माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी कड़ी करदी। बिललगटेस जितना पढ़ने वाला आदमी आज भी नहीं है कोई वो आज भी उसी तरह पढ़ते हिअ जैसा वो स्कूल टाइम में पढ़ते थे।
elonmask
elonmask सदी का सबसे क्रांतिकारी एडमिन मन जाता है। और उन्होंने यह पड़ी हसी मज़ाक में ही हासिल नहीं की। लेवल 12 साल की उम्र में उन्होंने कोडिंग सीख ली थी और होनी कोडिंग स्किल्स से एक गेम बना दी बाद में उस गेम को 500 $ में बेचा।
केवल इसी बात से उन्हें क्रन्तिकारी व्यक्ति के बारें में नहीं जाना जाता। उन्होंने दुनिया से कुछ हटकर सोचा। दुनिया जहाँ देश विदेश के सफर के बारें में जब सोच रही थी तब ये दुनिया को चाँद पपर ले जाने की सोच रहे थे। इन्होने सोचा क्यों न मैं लोगों को चाँद पर पहुंचादु।
उनके इस विचार पर काफी लॉगिन ने उनका मजाक बनाया। लेकिन लोगों की बात का उनपर कोई भी असर नहीं दिखाई दिया। उन्हीने पानी एक सौंपने खोल जिसमे एक राकेट तो चाँद पर पहुंचने की तैयारी शुरू क्र दी। पहली बार जब उनका प्रयास रहन तब उन्होंने पाने सारे पैसे इस प्रोजेक्ट पर गवा दिये और रही बात राकेट के चाँद पैर पहुँचने की तो राकेट ज़मीन से कुछ ऊंचाई पर ही जाकर रह गया। लेकिन उन्हीने अब हार नहीं मानी। उन्होने फिर प्रयास किया और वर्ड बैंक से लाखों डॉलर्स का कर्जा लिया। और फिर राकेट को चाँद पर पहुंचने का प्रयास किया लेकिन इस बार राकेट अंतरिक्ष में तो गया लेकीन प्रथवी से बहार जाते ही उन्होंने राकेट पर से नियंतरण खो दिया।
इस प्रोजेक्ट के बाद उनकी बहुत ज़्यादा बदनामी हुए और उनकी फॅमिली सड़क अपर आगयी लेकिन उनमें इतनी ज़िद्द भरी थी की उन्होंने लोगों की बातों के दर से अपने सपने को टूटने नहीं दिया और 3 और 4 बार फिर प्रयास किया और फिर भी असफलता ने उनके कदम चूमे। लेकिन उन्होंने पीछे हटाने से बिलकुल मन क्र दिया उनकी कंपनी में जो एम्प्लोयी यह कहता की यह इम्पॉसिबल काम है।
तो वो दिन उस का कंपनी में लास्ट डे होता था। एलोन मआस्क का मानना था की ये मत सोचो नहीं होगा बल्कि यह सोचो कैसे होगा।
५ बार जब उन्होंने जब प्रयास किया तो राकेट चाँद पैर पहुंच चूका था और दुनिया एक बार फिर से उनके कदमों के नीचे आगयी थी। जिन लोगों ने उनका उपहास बनाया बे ही उनका गुणगान करने लगगए
ये सब हुआ सिर्फ उनकी ज़िद्द की वजह से।
माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नारायण नडेला जब अपनी कॉलेज में थे तो साल में आधे से ज़्यादा दिन लिबररी में ही सोया करते थे पढ़ाई की ऐसी ज़िद्द थी उनको जो उन्हें लिब्ररे से बहार ही न जाने देती थी। उन्हें से बेहतर स्टूडेंट्स और भी थे लेकिन उन्होंने जो कारनामा कर दिखाया वो किसी और ने नहीं किया।
microsoft जैसी बड़ी कंपनी के मालिक बनाकर उन्होंने दिखाया
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कभी भी इंटेलीजेंट आदमी इतिहास नहीं रचता हमेशा ज़िद्दी आदमी इतिहास रचता है। इस ज़िद्द को पालना है। ज़िद्दी आदमी इतिहास रखता है ये बात एक बार नहीं बल्कि बार बार दुनिया के लेजेंड्स ने अपने कारनामों से बताया है। इस आर्टिकल में उन सभी ज़िद्दी आदमियों की कामयाबी और जर्नी को आप पढ़ने वाले है। कैसे साधारण बिलोंग करने वाले बच्चो ने बड़े होकर इतिहास के पन्नो में अपना नाम लिखवा दिया। उनके जीवन में समस्या बहुत आयी लेकिन उनकी ज़िद्द ने हर समस्या सामने दिया। ससमस्या तो उनके सामने मात्र एक शब्द बनाकर रह गया। ऐसे ही लेजेंड्स की कहानियां आप को इस आर्टिकल में मिलेंगी।
सबसे पहले करते है india के एक रईस इंसान रतन टाटा की ,जिन्हीने अपना बचपन गरीब में गुजारा।
रतन टाटा ने अपनी ज़िन्दगी में एक ऐसा कारनामा कर दिखआया जिससे के बाद पूरा विश्व भारत का लोहा मानने लगा।
उन्होंने यह साबित कर दिया की SUCCESS IS ACTUAL REVENGE .
रतन टाटा ने BILFORDS से ऐसा ही बदला लिया था। कारों के व्यापार में घाटों के कारन रतन टाटा ने अपनी कार कंपनी बेचने का निर्णय लिया। रतन टाटा ने USA में अच्छी चल रही कार फोर्ड के मालिक बिलफोर्डस को पानी कार कंपनी बेचने का फैसला किया। रतन USA गए और बिलफोर्डस के साथ मीटिंग की ,इस मीटिंग के दौरान रदरफोर्ड ने रतन टाटा को फटकार लगते हुए कहा की
-: अगर कार बनानी नहीं अति तो तो धंधे में आये क्यों थे , आप की यह कार कंपनी खरीदकर हम आप पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे है।
उस मीटिंग के बाद पूरी रात रतन टाटा को नींद नहीं आयी उन्होंने वो अपना अपमान सहन न कर पाए और उस रात बिना अपनी कंपनी फॉर्म को बेचे वापिस आगये और अपने सभी एम्प्लाइज को बाउंस बैक के लिए कहा। उस दिन के बाद रतन टाटा पहले से भी और अधिक लगन से एक और कार मार्किट में लांच करने की तैयारी में लग गए। लगभग तीस साल बाद उन्होंने इंडियन में टाटा मोटर्स का वर्चस्व स्थापित कर दिया था। अब उन्हें न दिन का पता था और न ही रात का। वो अपने काम के प्रति ितं ज़िद्दी हो गए की बूत थोड़े समय में उन्हओने बहुत कार टाटा कंस्ट्रक्टीुओं में लांच कर दी। पूरे इंडियन में टाटा मोटर्स का दान का डंका बजा दिया। जब टाटा मोटर्स अपने शीर्ष स्थान पर पहुँच चुकी थी उसी समय use में बिलफोर्डस की कार सौंपने को बहुत घटा होने लग गया था ,फोर्ड मोटर्स अब बिकने के कगार पर आ चुकी थी।
इसी मौके पैर रतन टाटा ने बिलफोर्डस को उनकी कंपनी फोर्ड मोटर्स खरीदने का ऑफर दिया ,बिल फोर्ड की कंपनी अब ितं घाटे
में जा चुकी थी की बिलफोर्डस न चाहकर भी रतन टाटा के प्रोपोज़ल को नेग्लेक्ट न क्र सकते थे।
टाटा के मैसेज के बाद फोर्ड उसे से इंडिया आये और टाटा से कहा की आप हमारी कंपनी खरीदकर हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे है
रतन टाटा ने जो बदला लिया वो असमरीय था। उन्होंने अपनी ज़िद्द के चलते अपना अपमान का बदला लिया।
लेकिन ऐसा कारनाम सिर्फ एक बार ही नहीं हुआ इतिहास ऐसे कारनामा करने वाले लाखों लोगों से भरा हुआ है। जिन्होंने अपनी ज़िद्द के चलते सफलए हासिल की।
केवल ज़िद्दी आदमी ही इतिहास रचता है।
बिलगेट्स के बारें में लोग कहते थे ये कॉलेज ड्रॉपआउट था , पढाई में उनका ध्यान नहीं था वो सिर्फ एक बिज़नेस में है ,
लेकिन सुच तो यह है बिल गेट्स जितना कोई पढ़ता ही नहीं था। 70-70 घंटे लगातार पढ़ने वाले इंसान थे बिलगेटस जब वो एकबार पढ़ने बैठ जाते थे तो पाने जूते नहीं उतारते थे जब उनसे इस बात के बारे में पूंछा गया की आप पढ़ते समय जुटे नहीं उतारते तो ऐसा क्यों
तो उन्होंने कहा की जुटे उतारने के बाद वापिस भी तो पहनने पड़ते है मैं ितं समय खराब नहीं कर सकता। और बिलगेटेड ने माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी कड़ी करदी। बिललगटेस जितना पढ़ने वाला आदमी आज भी नहीं है कोई वो आज भी उसी तरह पढ़ते हिअ जैसा वो स्कूल टाइम में पढ़ते थे।
elonmask
elonmask सदी का सबसे क्रांतिकारी एडमिन मन जाता है। और उन्होंने यह पड़ी हसी मज़ाक में ही हासिल नहीं की। लेवल 12 साल की उम्र में उन्होंने कोडिंग सीख ली थी और होनी कोडिंग स्किल्स से एक गेम बना दी बाद में उस गेम को 500 $ में बेचा।
केवल इसी बात से उन्हें क्रन्तिकारी व्यक्ति के बारें में नहीं जाना जाता। उन्होंने दुनिया से कुछ हटकर सोचा। दुनिया जहाँ देश विदेश के सफर के बारें में जब सोच रही थी तब ये दुनिया को चाँद पपर ले जाने की सोच रहे थे। इन्होने सोचा क्यों न मैं लोगों को चाँद पर पहुंचादु।
उनके इस विचार पर काफी लॉगिन ने उनका मजाक बनाया। लेकिन लोगों की बात का उनपर कोई भी असर नहीं दिखाई दिया। उन्हीने पानी एक सौंपने खोल जिसमे एक राकेट तो चाँद पर पहुंचने की तैयारी शुरू क्र दी। पहली बार जब उनका प्रयास रहन तब उन्होंने पाने सारे पैसे इस प्रोजेक्ट पर गवा दिये और रही बात राकेट के चाँद पैर पहुँचने की तो राकेट ज़मीन से कुछ ऊंचाई पर ही जाकर रह गया। लेकिन उन्हीने अब हार नहीं मानी। उन्होने फिर प्रयास किया और वर्ड बैंक से लाखों डॉलर्स का कर्जा लिया। और फिर राकेट को चाँद पर पहुंचने का प्रयास किया लेकिन इस बार राकेट अंतरिक्ष में तो गया लेकीन प्रथवी से बहार जाते ही उन्होंने राकेट पर से नियंतरण खो दिया।
इस प्रोजेक्ट के बाद उनकी बहुत ज़्यादा बदनामी हुए और उनकी फॅमिली सड़क अपर आगयी लेकिन उनमें इतनी ज़िद्द भरी थी की उन्होंने लोगों की बातों के दर से अपने सपने को टूटने नहीं दिया और 3 और 4 बार फिर प्रयास किया और फिर भी असफलता ने उनके कदम चूमे। लेकिन उन्होंने पीछे हटाने से बिलकुल मन क्र दिया उनकी कंपनी में जो एम्प्लोयी यह कहता की यह इम्पॉसिबल काम है।
तो वो दिन उस का कंपनी में लास्ट डे होता था। एलोन मआस्क का मानना था की ये मत सोचो नहीं होगा बल्कि यह सोचो कैसे होगा।
५ बार जब उन्होंने जब प्रयास किया तो राकेट चाँद पैर पहुंच चूका था और दुनिया एक बार फिर से उनके कदमों के नीचे आगयी थी। जिन लोगों ने उनका उपहास बनाया बे ही उनका गुणगान करने लगगए
ये सब हुआ सिर्फ उनकी ज़िद्द की वजह से।
माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नारायण नडेला जब अपनी कॉलेज में थे तो साल में आधे से ज़्यादा दिन लिबररी में ही सोया करते थे पढ़ाई की ऐसी ज़िद्द थी उनको जो उन्हें लिब्ररे से बहार ही न जाने देती थी। उन्हें से बेहतर स्टूडेंट्स और भी थे लेकिन उन्होंने जो कारनामा कर दिखाया वो किसी और ने नहीं किया।
microsoft जैसी बड़ी कंपनी के मालिक बनाकर उन्होंने दिखाया
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