रावण दुवारा लक्ष्मण को दिए उपदेश रावन की प्रजा ने रावण से कहा की श्री राम के नाम के पत्थर भी पानी पर तैरते है वो तो साक्षात् भगवान् है , तो रावण ने प्रजा से कहा की मैं भी यह चमत्कार कर सकता हु मैं भी पत्थर पर अपना नाम लिखकर उसे तैरा सकता हूँ तो प्रजा को बहुत आशचर्य हुआ , जब रावण इसका प्रमाण देने गए तो उन्होंने एक पत्थर लिया और उस पर रावण लिख दिया और उसे पानी में फेंक दिया तो आश्चर्य हुआ की रावण तो एक दैत्य है फिर भी उसके नाम के पत्थर पानी पर तैरने लग गए। प्रजा ने मान लिया की रावण भी भगवान से कम नहीं है। लेकिन यह बात रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी को नहीं जमी , मंदोदरी रावण से बोली हे प्राणनाथ मुझे पता है की आप भगवान नहीं हो न ही आपके अंदर ऐसी कोई इच्छा शक्ति है की आप पत्थर को पानी पर तेरा सको तो आपने यह चमत्कार कैसे किया , जवाब में रावण के कहा : मैंने एक पत्थर पर अपना नाम जरूर लिखा था लेकिन उस पत्थर को पानी में फेंकने से पहले मैंने पत्थर से धीरे से कहा "तुम्हे श्री राम की सौगंध...
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